श्री रामदेव पुस्तिकार मंडल मारवाड़ी सममा द्वारा स्थापित एक संगठन है, जो वर्ष 2010 से स्थापित है| हमारे समाज के उदार हृदय, सरलता की प्रतिमूर्ति श्री शुशील पुरोहित, श्री अग्रवाल साहब हमारे संगठन के ऐसे रत्न है जिनका संगठन हमेशा आभारी रहेगा इनके सदकर्मों एवम् महान कार्यों ने समाज का मान-सम्मान बढ़ाया है ओर संगठन को एक नई दिशा और गति प्रदान की है |
कुछ सदस्यों अपनी उच्च शासकीय सेवाओं से संगठन के गौरव में अदभूत प्रतिभा का परिचय दिया है कर्तव्य निष्ठ, निडर, ईमानदार व सेवा में समर्पित सदस्यों द्वारा नाम रोशन किया है जो संगठन के लिए गर्व की बात हैं । ऐसी हमारे संगठन की महान आत्माओं एवं महात्माओं ने हमारी आने वाली पीढ़ि के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा स्त्रोत बनकर संगठन को और गौरवशाली बनाते हुए एक आदर्श व अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है ।
संगठन सफलतापूर्वक बहुत सी कार्यक्रमों को पूरा किया है है जैसे कि रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण, कलश यात्रा, वस्त्र वितरण, शादी-ब्याह-विवाह, पूजा-पाठ आदि| यह हमारा संगठन है कि जो हमारे लिए आगे बढने के लिए उत्प्रेरक का काम करता है । हमारा संगठन तो हम सब के लिए एक अच्छी और साफ़-सुथरी जिन्दगी जीने का मुख्य आधार है, अगर हम इस को दरकिनार करेंगे तो हमारा जीवन एक नरक की तरह बन जाता है, निजी जीवन जीने के लिए आज कल पैसा ही सब कुछ है, पर समाज / संगठन में भी रहना जरुरी है, जीवन में आदमी महान कब होता है जब इज्जत-मान-मर्यादा हर आदमी का अपना परिवार होती है, इसके लिए संगठन बहुत जरुरी है|
भगवान श्री रामदेव का अवतार संवत् १४६१ भांदों सुदी दोज शनिवार को पोखरण के तोमरवंशी राजा अजमल के यहां हुआ था। बाबा रामदेवजी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं। बाबा का संबंध राजवंश से था लेकिन उन्होंने पूरा जीवन शोषित, गरीब और पिछड़े लोगों के बीच बिताया। भक्त उन्हें प्यार से रामापीर या राम सा पीर भी कहते हैं। बाबा को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता हैं।
'पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा' को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। बाबा रामदेव को द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) का अवतार माना जाता है। भगवान रामदेव कलयुग के अवतारी हैं शेष शैय्या पर विराजमान महाशक्ति विष्णु का अवतार भगवान कृष्ण व भगवान राम का था। उसी शक्ति ने कलयुग में अवतार भगवान रामदेव के रुप में लिया था। उन्होंने अंधों को आंखें दी, कोढिय़ों का कोढ़ ठीक किया, लंगड़ों को चलाया। बाद में उन्होंने पोखरण राज्य अपनी बहिन लच्छाबाई को दहेज में दे दिया और रूढि़चा के राजा बने।
कहा जाता है कि जब रामदेवजी के चमत्कारों की चर्चा चारों ओर होने लगी तो मक्का (सऊदी अरब) से पांच पीर उनकी परीक्षा लेने आए। वे उनकी परख करना चाहते थे कि रामदेव के बारे में जो कहा जा रहा है, वह सच है या झूठ? जब उन्होंने परीक्षा के बाद वापिस जाने के लिए आज्ञा मांगी तो श्रीरामदेव जी ने कहा कि अब तुम वापिस नहीं जाओगे, मेरे साथ ही रहोगे। क्योंकि पीरों को बाबा कहा जाता है। श्रीरामदेव तो पीरों के भी पीर हैं, इसलिए उन्हें भी लोग बाबा कहकर पुकारते हैं।राजस्थान में उनको बाबजी और रामा धणी के नाम से पुकारते हैं।
बाबा रामदेवजी महाराज ने १५२५ को भादवा सुदी ११ के दिन रुणिचा गांव के राम सरोवर पर सब रुणिचा वासियों को समझाया तत्पश्चात आपने समाधी ली|रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर सब के प्रति अपने अन्तिम उपदेश देते हुए कहा प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूज पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला लगेगा। मेरे समाधी पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुँगा। इस प्रकार श्री रामदेव जी महाराज ने समाधी ली।प्रभु ने समाधी ली और प्रजा में शोक संचार हो गया, उनमे बेचैनी बढ़ गयी| दुखित होकर सभी पुकारने लगे और जब प्रजा से रहा नहीं गया तो उनहोंने समाधी को खोदा| समाधी खोदते ही उस जगह पर फूल मिले और सभी प्रजा ने नमन कीया और उस जगह पर बाबा कि समाधी बनाई |
जम्मा जागरण जल्द आ रहा है
पदयात्रा जल्द आ रहा है
रक्तदान शिविर जल्द आ रहा है
कलश यात्रा जल्द आ रहा है
आलौकिक चमत्कारिक कष्ट निवारक जागृति दरबार - जिसमें विभिन्न रोगों के रोगियों का रोग भी दूर किया जाएगा| जल्द आ रहा है
वस्त्र वितरण जल्द आ रहा है
हमारे मुख्य अतिथि द्वारा वृक्षारोपण जल्द आ रहा है
घोड़लियो का अर्थ होता है घोड़ा यह बाबा रामदेव जी की सवारी है|
बचपन में बाबा रामदेव ने अपनी माता जी मैणादे से घोडा मंगवाने हेतु हट करा था ।
बाबा के भक्त बाबा को पुत्ररत्न की प्राप्ति हेतु बाबा को कपडे का घोडा आसथा विश्वास व श्रद्धा के साथ भेंट करते है ।
बाबा के भक्त बाबा की मान्यता है कि गुग्गल धूप खेवण से उनके घर में सुख-शांति रहेगी एवं उस घर में मेरा निवास रहेगा ।"
बाबा के पगलिये -"पद-चिन्हों" श्रद्धालु अपने घर में पूजा के मंदिर या अन्य पवित्र स्थान पर रखते है ।
जय अजमल लाला प्रभु, जय अजमल लाला ।। भक्त काज कलयुग में लीनो अवतारा, जय अजमल लाल ।। (1)
अश्वनकी अवसारी शोभीत केशरीया जामा । शीस तुर्रा हद शोभीत हाथ लीया भाला ।। जय (2)
डुब्त जहाज तीराई भैरव दैत्य मारा । कृष्णकला भयभजन राम रूणेचा वाला ।। जय (3)
अंधन को प्रभु नेत्र देत है सु संपती माया । कानन कुंडल झील मील गल पुष्पनमाल ।। जय (4)
कोढी जय करूणा कर आवे होंय दुखीत काया । शरणागत प्रभु तोरी भक्तन सुन दाया ।। जय (5)
आरती रामदेव जी की नर नारी गावे । कटे पाप जन्म-जन्म के मोंक्षां पद पावे ।। जय (6)
जय अजमल लाला प्रभु, जय अजमल लाला । भक्त काज कलयुग में लीनो अवतारा, जय अजमल लाल ।। (7)
जय श्री रामदेव अवतारी, विपद हरो प्रभु आन हमारी ।।
भावदा शुद दूज को आया, अजमल जी से कौल निभाया ।।
अजमल जी को परचो दियो, जग में नाम अमर है कियो ।।
द्वारका छोड़ मरूधर में आया, भक्ता का है बन्द छुड़ाया ।।
माता मैनादे की शंका मिटार्इ, पल में दूध पे कला बरताई ।।
कपड़ा को घोड़ो है उड़ायो, दर्जी को है पर्चों दियो ।।
तीजी कला यूं बरताई, जग में शक्ति आप दिखाई ।।
स्वारथिया को आप जिवाओ, चौथी कला को यूं बरताओं ।।
मिश्री को है नमक बनाया, लखी बनजारा को पर्चों दिखाया ।।
मन शुद्ध कर भक्ति बतलाई, इन विध पांचु कला बरताई ।।
मोहम्मद को है पर्चों दिन्हो, लंगड़ा से अच्छा है किन्हो ।।
विकट रूप धर भैरों मारा, साधु रूप धर भक्त तारा ।।
भैरों को थे नीचे दबाया, जन-जन को सुखी कर दिया ।।
बालीनाथ का बचन पुराया, आप चतुर्भुज रूप दिखाया ।।
पुगलगढ़ में आप आया, रत्ना राईका को आन छुड़ाया ।।
सुगना के पुत्र को जिवाया, ऐसा पर्चा आप दिखाया ।।
नेतलदे को रूप दिखाया, छुट्टी कला का दर्शन कराया ।।
बोहिता बनिया को मिश्र पठाया, डूबत जहाज आप तराया ।।
नुगरा को सुगरा कर दिया, नाम बताये अमर कर दिया ।।
ऋषियों को थे मान राखो, उनकों जग में ऊंचा राखो ।।
डालीबाई जन्मी नीचड़ा, थाणे सिमरयां होई ऊंचड़ा ।।
पिछली भक्ति रंग है लाई, थाणे सिमरयां भव से पर होई ।।
धारू रूपांदे थाणे ध्याया, जग तारण हारे का दर्शन पाया ।।
धेन दास का पुत्र जिवाया, जुग में ऐसा खेल दिखाया ।।
जैसल को शुद्ध बद्धि दीन्ही, संग में तोलादे नार दीन्ही ।।
ऊद्धा का अभिमान मिटाया, देके भगवां संसा मिटाया ।।
जाम्भा जी को पर्चा दीन्हो, सरवर पानी खारो किन्हो ।।
मक्का से पीर आया, बर्तन अपना भूल आया ।।
पीरां को पर्चा दिया, बर्तन बांका में भोग दिया ।।
रामा पीर जगत को तारो, ऐसा ध्यान तुझ में म्हारों ।।
कलियुग में परताप तुम्हारों, अपना वचन आप सम्हारो ।।
बकरी चरांतां हरजी को मिल गया, देके ज्ञान निहाल कर गया ।।
हरजी जमला थारा जगावे, घर-घर जाके परचा सुनावे ।।
कूड़ा विजय सिंह को आप डराओं, हाकम हजारी से मनौती कराओ ।।
निपुत्रां को पुत्र देवो, कोढ़ियों को कलंक झड़ावो ।।
राक्षस भूत निकट नहीं आवे, रामदेव जब नाम सुनावे ।।
जो सत्वार पाठ करे कोई, छूटे दुखड़ा महासुख होई ।।
जो बाचें ''श्री रामदेव'' चालीसा, बांका संकट कटे हमेशा ।।
प्रकाश पाण्डे शरण है थारी, कृपा करो रामदेव अवतारी ।।
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